हरियाली तीज: सावन की हरियाली और नारी शक्ति का पावन पर्व

hariyali teej

हरियाली तीज भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और रंगबिरंगा त्योहार है जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि प्रकृति की हरियाली, नारी शक्ति, और वैवाहिक सुख का प्रतीक भी है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य मिलन का उत्सव है


हरियाली तीज 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष 2025 में हरियाली तीज 27 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार तृतीया तिथि 26 जुलाई 2025 को रात्रि 10:41 बजे प्रारंभ होकर 27 जुलाई 2025 को रात्रि 10:41 बजे समा]। इस दिन दो शुभ योग बन रहे हैं - अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से 12:55 बजे तक और रवि योग संध्या 04:23 से प्रारंभ होकर अगले दिन प्रातःकाल 05:40 बजe तक रहेगा।



पौराणिक महत्व और धार्मिक कथा

हरियाली तीज का सबसे गहरा धार्मिक महत्व भगवान शिव और माता पार्वती की पावन कथा से जुड़ा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कई जन्मों तक कठोर तपस्या की थी। कहा जाता है कि माता पार्वती ने 107 जन्मों तक तपस्या के बाद 108वें जन्म में भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया


hariyali teej 2025


इस दिव्य मिलन की खुशी में ही हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन उनके पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है, जो सुखी दांपत्य जीवन, नारी की आस्था, श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है।


त्योहार का नामकरण और प्राकृतिक संबंध

"हरियाली" शब्द इस त्योहार के नाम में सावन की हरियाली और वर्षा ऋतु की सुंदरता को दर्शाता है। श्रावण मास में जब संपूर्ण प्रकृति हरी ओढ़नी से आच्छादित होती है, उस समय यह पर्व मनाया जाता है। मानसून के आगमन के साथ पृथ्वी पर फैली हरियाली इस त्योहार की मुख्य विशेषता है, इसीलिए इसे "हरियाली तीज" कहा जाता है



पारंपरिक रीति-रिवाज और त्योहारी परंपराएं

व्रत और पूजा विधि

हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जिसमें वे पूरे दिन अन्न और जल का त्याग करती हैं। यदि कोई महिला निर्जला व्रत करने में असमर्थ है, तो वह फलाहार व्रत भी रख सकती है। व्रत रखने के बाद शाम के समय भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है।


श्रृंगार और पोशाक

इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व है। महिलाएं हरे रंग की साड़ी, हरी चूड़ियां, हरी बिंदी और हरे रंग के आभूषण पहनती हैं। हरा रंग जीवन, उर्वरता, सौभाग्य, शांति, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और यह भगवान शिव का प्रिय रंग भी है



मेहंदी की परंपरा

हरियाली तीज पर हाथों में मेहंदी लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। मेहंदी सुहाग का प्रतीक चिह्न है और इसकी शीतल प्रकृति प्रेम और उमंग को संतुलन प्रदान करने का काम करती है। महिलाएं अपने हाथों, कलाइयों और पैरों पर विभिन्न कलात्मक रीति से मेहंदी रचाती हैं।


झूला झूलने की परंपरा

इस दिन झूला झूलना एक प्रमुख परंपरा है। वृक्षों की शाखाओं में झूले लगाए जाते हैं और महिलाएं पारंपरिक गीत गाते हुए झूला झूलती हैं। यह परंपरा त्योहार की खुशी और उल्लास को दर्शाती है।



सिंधारा की परंपरा

हरियाली तीज पर सिंधारा भेजने की विशेष परंपरा है। इस दिन विवाहित महिलाओं को उनके मायके से सिंधारा भेजा जाता है, जिसमें हरी चूड़ियां, श्रृंगार सामग्री, वस्त्र, मिठाइयां और घेवर जैसे पारंपरिक पकवान होते हैं। सास और बड़ी महिलाएं नई दुल्हन को वस्त्र, हरी चूड़ियां, श्रृंगार सामग्री और मिठाइयां भेंट करती हैं।


विभिन्न राज्यों में मनाए जाने के तरीके

राजस्थान में हरियाली तीज

राजस्थान में हरियाली तीज का जश्न अत्यंत भव्य होता है। यहां तीज माता की सवारी निकाली जाती है, जिसमें माता पार्वती की मूर्ति को सजाकर जुलूस के रूप में सड़कों पर ले जाया जाता है। राजस्थान के शाही महलों और मंदिरों में विशेष जुलूस आयोजित किए जाते हैं जो इस अवसर को और भी भव्य बनाते हैं।


बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कजली तीज

पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के रूप में मनाया जाता है। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में इसे मधुश्रावणी तीज भी कहा जाता है। यहां नवविवाहित महिलाएं तेरह दिनों तक व्रत रखती हैं और सात्विक भोजन करती हैं।


अन्य राज्यों में मनाई जाने वाली परंपराएं

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और हरियाणा में भी यह त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हर राज्य की अपनी विशेष परंपराएं हैं, लेकिन मूल भावना समान रहती है - प्रेम, भक्ति और मानसून के मौसम का जश्न।


पारंपरिक व्यंजन और मिठाइयां

घेवर - राजस्थान की विशेष मिठाई

हरियाली तीज का सबसे प्रसिद्ध व्यंजन घेवर है, जो राजस्थान की पारंपरिक मिठाई है। घेवर मैदे, घी और दूध से बनाया जाता है और इसे चाशनी में डुबोकर रबड़ी, मलाई और सूखे मेवों से सजाया जाता है। सावन के महीने में घेवर की विशेष मांग होती है और यह तीज के त्योहार की मिठास बढ़ाने का काम करता है



अन्य पारंपरिक व्यंजन

हरियाली तीज पर अन्य पारंपरिक व्यंजन भी बनाए जाते हैं:


खीर: चावल की खीर या सेवईं की खीर विशेष रूप से बनाई जाती है


गुजिया: मावा गुजिया इस त्योहार की विशेष मिठाई है


पुआ: गुड़ के पुए या सूजी के पुए भी बनाए जाते हैं


पूरी-कचौड़ी: त्योहार को खास बनाने के लिए पूरी-कचौड़ी का भी आयोजन किया जाता है


चूरमा लड्डू: गुड़ के साथ बने चूरमा लड्डू भी विशेष होते हैं


आधुनिक युग में हरियाली तीज

आज के समय में हरियाली तीज का त्योहार अपनी पारंपरिक जड़ों को बनाए रखते हुए आधुनिक रूप भी ले रहा है। शहरी क्षेत्रों में महिलाएं समुदायिक रूप से इस त्योहार को मनाती हैं। सोशल मीडिया पर हरियाली तीज की शुभकामनाएं, मेहंदी डिज़ाइन और पारंपरिक व्यंजनों की रेसिपी साझा की जाती हैं।


पर्यावरण संरक्षण का संदेश

हरियाली तीज का त्योहार प्रकृति के संरक्षण का भी संदेश देता है। "हरियाली" शब्द ही वृक्षों और प्रकृति की हरियाली को दर्शाता है। इस त्योहार के दिन वृक्षारोपण करना और प्रकृति के साथ सद्भावना रखने का संकल्प लेना शुभ माना जाता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि प्रकृति के साथ कभी भी छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए और हमें वृक्ष बचाने और लगाने का संकल्प लेना चाहिए।



महिला शक्ति का प्रतीक

हरियाली तीज नारी शक्ति, प्रेम और पारिवारिक सुख-सौभाग्य का प्रतीक है। यह त्योहार महिलाओं के धैर्य, समर्पण और अटूट विश्वास को दर्शाता है। माता पार्वती का उदाहरण महिलाओं को प्रेरणा देता है कि दृढ़ संकल्प और भक्ति से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।


त्योहार के लाभ और महत्व

हरियाली तीज का व्रत रखने से न केवल धार्मिक लाभ मिलते हैं बल्कि सामाजिक और पारिवारिक बंधन भी मजबूत होते हैं। यह त्योहार:


पारिवारिक एकता को बढ़ावा देता है


सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखता है


महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाता है


प्रकृति के प्रति प्रेम जगाता है


समुदायिक भावना को मजबूत करता है

हरियाली तीज की हार्दिक शुभकामनाएं! मां पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे और आपका जीवन खुशियों की हरियाली से भरा रहे।

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