आज फिर हुआ हादसा... हिमकोटी मार्ग पर भूस्खलन से वैष्णो देवी यात्रा बाधित, श्रद्धालु सुरक्षित

mata vaishno devi
वैष्णो देवी मार्ग पर फिर हुआ भूस्खलन

कटड़ा। रविवार की यात्रा पूरी तरह से सुचारू रूप से संपन्न होने के बावजूद, शनिवार देर रात करीब 12:00 बजे मां वैष्णो देवी की महत्वपूर्ण बैटरी कार मार्ग के हिमकोटी क्षेत्र में अचानक हुए भूस्खलन ने यात्रा व्यवस्था को प्रभावित कर दिया। इस घटना में मार्ग पर स्थित टिन शेड का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए श्राइन बोर्ड प्रशासन द्वारा तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की गई।


हिमकोटी मार्ग पर भूस्खलन से वैष्णो देवी यात्रा बाधित, श्रद्धालु सुरक्षित

कटड़ा। रविवार की यात्रा पूरी तरह से सुचारू रूप से संपन्न होने के बावजूद, शनिवार देर रात करीब 12:00 बजे मां वैष्णो देवी की महत्वपूर्ण बैटरी कार मार्ग के हिमकोटी क्षेत्र में अचानक हुए भूस्खलन ने यात्रा व्यवस्था को प्रभावित कर दिया। इस घटना में मार्ग पर स्थित टिन शेड का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए श्राइन बोर्ड प्रशासन द्वारा तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की गई।



घटना का विवरण और तत्काल कार्रवाई

जब यह दुर्घटना घटित हुई, उस समय श्रद्धा के साथ भवन की ओर आ-जा रहे थे। सौभाग्य की बात यह रही कि मार्ग पर गुजर रहे सभी श्रद्धालु पूरी तरह से सुरक्षित रहे और किसी को भी कोई चोट नहीं आई। भूस्खलन की सूचना मिलते ही श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड प्रशासन ने तुरंत इस मार्ग पर श्रद्धालुओं की आवाजाही स्थगित कर दी और मार्ग को तत्काल बंद करने का निर्णय लिया ।


श्राइन बोर्ड की त्वरित प्रतिक्रिया


श्राइन बोर्ड के सीईओ अंशुल गर्ग के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम द्वारा 24 घंटे की निगरानी व्यवस्था के तहत स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। मलबा हटाने और मार्ग को पुनः सुरक्षित बनाने के लिए जेसीबी मशीनों, श्राइन बोर्ड के कर्मचारियों और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त टीमों ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में रात्रि के समय भी अभियान जारी रखा ।


हिमकोटी मार्ग: आधुनिक यात्रा की रीढ़

हिमकोटी मार्ग वैष्णो देवी यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो आधुनिक सुविधाओं से लैस है। यह मार्ग विशेष रूप से बैटरी कार सेवा के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो वृद्ध, दिव्यांग और शारीरिक रूप से असमर्थ श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत उपयोगी है। अर्धकुंवारी से माता वैष्णो देवी भवन तक इस मार्ग पर बैटरी कार सेवा संचालित होती है ।


बैटरी कार सेवा की महत्ता


बैटरी कार सेवा श्रद्धालुओं के लिए एक वरदान साबित हुई है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो 13 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई नहीं कर सकते। यह सेवा कटरा से नहीं बल्कि अर्धकुंवारी से शुरू होती है, इसलिए यात्रियों को पहले 6 किलोमीटर पैदल या घोड़े से जाना पड़ता है ।


श्राइन बोर्ड की त्वरित प्रतिक्रिया


श्राइन बोर्ड के सीईओ अंशुल गर्ग के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम द्वारा 24 घंटे की निगरानी व्यवस्था के तहत स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। मलबा हटाने और मार्ग को पुनः सुरक्षित बनाने के लिए जेसीबी मशीनों, श्राइन बोर्ड के कर्मचारियों और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त टीमों ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में रात्रि के समय भी अभियान जारी रखा ।


हिमकोटी मार्ग: आधुनिक यात्रा की रीढ़

हिमकोटी मार्ग वैष्णो देवी यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो आधुनिक सुविधाओं से लैस है। यह मार्ग विशेष रूप से बैटरी कार सेवा के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो वृद्ध, दिव्यांग और शारीरिक रूप से असमर्थ श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत उपयोगी है। अर्धकुंवारी से माता वैष्णो देवी भवन तक इस मार्ग पर बैटरी कार सेवा संचालित होती है ।


बैटरी कार सेवा की महत्ता


बैटरी कार सेवा श्रद्धालुओं के लिए एक वरदान साबित हुई है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो 13 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई नहीं कर सकते। यह सेवा कटरा से नहीं बल्कि अर्धकुंवारी से शुरू होती है, इसलिए यात्रियों को पहले 6 किलोमीटर पैदल या घोड़े से जाना पड़ता है ।



बैटरी कार सेवा की महत्ता


बैटरी कार सेवा श्रद्धालुओं के लिए एक वरदान साबित हुई है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो 13 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई नहीं कर सकते। यह सेवा कटरा से नहीं बल्कि अर्धकुंवारी से शुरू होती है, इसलिए यात्रियों को पहले 6 किलोमीटर पैदल या घोड़े से जाना पड़ता है ।


भूस्खलन के कारण: प्राकृतिक और मानवीय कारक

भौगोलिक स्थिति की भूमिका

हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने के कारण वैष्णो देवी मार्ग भूस्खलन के लिए संवेदनशील है। हिमालय भूगर्भीय दृष्टि से युवा पर्वत श्रृंखला है जो अभी भी टेक्टॉनिक प्लेटों की हलचल से प्रभावित होती रहती है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन के अनुसार, भारतीय और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेटों के टकराव के कारण यह क्षेत्र लगातार अस्थिर रहता है ।


मौसमी कारक

भारी बारिश भूस्खलन का मुख्य कारण है। पानी मिट्टी में रिसकर उसकी पकड़ कमजोर कर देता है और मिट्टी का वजन बढ़ा देता है। जम्मू-कश्मीर में जून से सितंबर तक मानसूनी बारिश के दौरान ऐसी घटनाएं अधिक होती हैं ।


मानवीय हस्तक्षेप का प्रभाव

पर्यटन और तीर्थ यात्रा की बढ़ती मांग के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण कार्य बढ़े हैं। वनों की कटाई और अनियोजित निर्माण से पहाड़ों की प्राकृतिक स्थिरता प्रभावित होती है। पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बांधकर रखती हैं, लेकिन वनों की कटाई से यह प्राकृतिक सुरक्षा कवच कमजोर हो जाता है ।


श्राइन बोर्ड की सुरक्षा व्यवस्था

आधुनिक निगरानी प्रणाली

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया है। 20 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) में 700 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जो फेस रिकग्निशन और एआई तकनीक से लैस हैं ।


वैकल्पिक यात्रा व्यवस्था

पारंपरिक मार्ग की उपलब्धता

हिमकोटी मार्ग बंद होने पर श्रद्धालुओं के लिए पारंपरिक मार्ग (बाणगंगा मार्ग) उपलब्ध रहता है। यह मार्ग कटरा से शुरू होकर बाणगंगा, चरण पादुका, अर्धकुंवारी होते हुए भवन तक जाता है। इस मार्ग पर श्रद्धालु पैदल, घोड़े, पिट्ठू, या पालकी से यात्रा कर सकते हैं ।


ताराकोट मार्ग

नया ताराकोट मार्ग भी वैकल्पिक विकल्प के रूप में उपलब्ध है। यह मार्ग हिमकोटी मार्ग के बाद निर्मित किया गया है और यह भी आधुनिक सुविधाओं से लैस है ।


राहत और बचाव कार्य

तत्काल प्रतिक्रिया

भूस्खलन की घटना के तुरंत बाद:


जेसीबी मशीनों की तैनाती


श्राइन बोर्ड कर्मचारियों की तैनाती


स्थानीय प्रशासन का सहयोग


मलबा हटाने का तत्काल अभियान 


निष्कर्ष

हिमकोटी क्षेत्र में हुए भूस्खलन की घटना प्राकृतिक आपदाओं की अप्रत्याशितता को दर्शाती है, लेकिन श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की त्वरित प्रतिक्रिया और सुरक्षा व्यवस्था की प्रभावशीलता भी स्पष्ट होती है। सभी श्रद्धालुओं के सुरक्षित रहने और वैकल्पिक व्यवस्था का तुरंत उपलब्ध होना इस बात का प्रमाण है कि आधुनिक तकनीक और पारंपरिक व्यवस्था के संयोजन से चुनौतियों से निपटा जा सकता है।


श्राइन बोर्ड प्रशासन की 24 घंटे की निगरानी और तत्काल राहत कार्य इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि मां वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सर्वोपरि रहे। भविष्य में भी ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए निरंतर सुधार और आधुनिकीकरण का कार्य जारी रहेगा, जिससे यह पवित्र यात्रा और भी सुरक्षित और सुविधाजनक बन सके।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.