उत्तराखंड: धार्मिक स्थलों की धारण क्षमता सर्वे पहल
उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू की गई धारण क्षमता सर्वे पहल राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव का संकेत है। हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई दुखद भगदड़ की घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुरू हुई यह पहल न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी बल्कि राज्य के धार्मिक पर्यटन को भी एक नई दिशा प्रदान करेगी।
मुख्य घटनाक्रम और पहल मनसा देवी मंदिर भगदड़: एक जागरूकता का क्षण
जुलाई 2025 में हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ की घटना ने राज्य सरकार को तत्काल एक व्यापक सुधार योजना पर काम करने के लिए प्रेरित किया। इस दुर्घटना में आठ लोगों की मृत्यु और 30 से अधिक लोगों के घायल होने के बाद, मुख्यमंत्री धामी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए राज्य के सभी प्रमुख मंदिरों में भीड़ प्रबंधन और धारण क्षमता के वैज्ञानिक आकलन के निर्देश दिए।
धारण क्षमता सर्वे की शुरुआत
पर्यटन सचिव धीराज गर्ब्याल के नेतृत्व में पर्यटन विभाग ने कैंची धाम से धारण क्षमता सर्वे की शुरुआत की है। यह पहली बार है जब उत्तराखंड सरकार धार्मिक स्थलों की धारण क्षमता का वैज्ञानिक आकलन कर रही है। कैंची धाम क्षेत्र में विभाग की ओर से ANPR (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन) कैमरे और CCTV कैमरे स्थापित किए गए हैं, जो लगातार मॉनिटरिंग की सुविधा प्रदान करते हैं
व्यापक मास्टर प्लान और नीतिगत पहल नौ-सूत्रीय सुरक्षा योजना
उत्तराखंड सरकार ने सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों के लिए एक व्यापक नौ-सूत्रीय मास्टर प्लान तैयार करने का निर्देश दिया है। इस योजना में निम्नलिखित मुख्य घटक शामिल हैं:
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आधुनिक भीड़ नियंत्रण प्रणाली: प्रत्येक धार्मिक स्थल पर पीक सीजन के दौरान श्रद्धालुओं के प्रवाह को व्यवस्थित करने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
वैज्ञानिक धारण क्षमता आकलन: प्रत्येक मंदिर और धार्मिक स्थल की धारण क्षमता का वैज्ञानिक अध्ययन करके यह निर्धारित किया जाएगा कि वहां एक समय में कितने श्रद्धालु सुरक्षित रूप से दर्शन कर सकते हैं।
अलग प्रवेश और निकास मार्ग: भीड़ की समस्या से बचने के लिए मंदिरों में अलग प्रवेश और निकास मार्ग बनाए जाएंगे।
उच्चस्तरीय समिति का गठन
मुख्यमंत्री धामी ने गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों के आयुक्तों की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समितियों का गठन किया है। इन समितियों में संबंधित जिलों के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष और निष्पादन एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
प्रमुख धार्मिक स्थलों का विस्तृत विश्लेषण
कैंची धाम: पायलट प्रोजेक्ट
नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम को इस पहल का पायलट प्रोजेक्ट बनाया गया है। यहां वार्षिक तौर पर लगभग 5 लाख श्रद्धालु आते हैं, जबकि पीक सीजन में दैनिक 5,000 से अधिक लोग दर्शन करते हैं। नीम करोली बाबा के इस प्रसिद्ध आश्रम में भीड़ प्रबंधन की समस्या को देखते हुए यहां से सर्वे की शुरुआत की गई है।
हरिद्वार के प्रमुख मंदिर
मनसा देवी मंदिर: हरिद्वार का यह प्रसिद्ध मंदिर वार्षिक तौर पर 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। पीक सीजन में यहां दैनिक 15,000 तक लोग पहुंचते हैं। हाल की भगदड़ की घटना के बाद यहां तत्काल सुधारात्मक उपाय किए जा रहे हैं।
चंडी देवी मंदिर: नील पर्वत पर स्थित यह मंदिर भी भीड़ प्रबंधन की समस्या से जूझ रहा है। यहां वार्षिक 8 लाख श्रद्धालु आते हैं और पीक सीजन में दैनिक 8,000 लोग दर्शन करते हैं।
अन्य प्रमुख धार्मिक स्थल
पूर्णागिरि मंदिर (तनकपुर): चम्पावत जिले में स्थित यह शक्तिपीठ वार्षिक 3 लाख श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। चैत्र नवरात्रि के दौरान यहां विशेष भीड़ होती है।
पीरान कलियर शरीफ: रुड़की के पास स्थित यह दरगाह हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है और वार्षिक 4 लाख से अधिक श्रद्धालु यहां आते हैं।
तकनीकी नवाचार और डिजिटल समाधान
ANPR और CCTV निगरानी सिस्टम
उत्तराखंड सरकार ने धार्मिक स्थलों पर आधुनिक निगरानी तकनीक का व्यापक उपयोग करने का निर्णय लिया है। ANPR (Automatic Number Plate Recognition) कैमरे वाहनों की पहचान और ट्रैकिंग के लिए स्थापित किए जा रहे हैं, जबकि CCTV कैमरे रियल-टाइम निगरानी प्रदान करेंगे।
डिजिटल पंजीकरण सिस्टम
सर्वे के निष्कर्षों के आधार पर, सरकार श्रद्धालुओं के लिए अनिवार्य पंजीकरण प्रणाली लागू करने की योजना बना रही है। यह चार धाम यात्रा की तर्ज पर होगी, जहां श्रद्धालुओं को पहले से ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा।
People Counting और Crowd Density Monitoring
आधुनिक सेंसर तकनीक का उपयोग करके भीड़ की गिनती और घनत्व की निगरानी की जाएगी। यह तकनीक वास्तविक समय में यह जानकारी देगी कि कोई स्थान अपनी धारण क्षमता के कितने करीब है।
चुनौतियां और बाधाएं भौगोलिक और संरचनात्मक सीमाएं
उत्तराखंड के अधिकांश धार्मिक स्थल पहाड़ों पर स्थित हैं, जहां संकरे रास्ते और खड़ी चढ़ाई है। इन स्थानों पर बुनियादी ढांचे का विकास तकनीकी और पर्यावरणीय चुनौतियों से भरा है।
अवैध कब्जे और एनक्रोचमेंट
अधिकांश मंदिरों के आसपास अवैध दुकानें और कब्जे हैं जो रास्तों को और भी संकरा बना देते हैं। सरकार ने इन अवैध कब्जों को हटाने की प्राथमिकता तय की है।
वित्तीय संसाधन और तकनीकी क्षमता
व्यापक तकनीकी समाधान लागू करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन और तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता है। सरकार ने इस पहल के लिए लगभग 185 लाख रुपए का बजट निर्धारित किया है।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाएं
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तिरुपति मॉडल की सफलता
तिरुपति बालाजी मंदिर का भीड़ प्रबंधन मॉडल दुनियाभर में प्रसिद्ध है, जहां वैकुंतम क्यू कॉम्प्लेक्स में 60 से अधिक कंपार्टमेंट हैं और प्रत्येक में 300-500 लोग प्रतीक्षा कर सकते हैं। यहां तीन दशकों से कोई बड़ी भगदड़ की घटना नहीं हुई है।
कुंभ मेला का प्रबंधन मॉडल
कुंभ मेला का भीड़ प्रबंधन मॉडल भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी का उत्कृष्ट उदाहरण माना है।
कार्यान्वयन की समयसारणी चरणबद्ध लागू करने की योजना
चरण 1 (अगस्त 2025): कैंची धाम में CCTV स्थापना और डेटा संग्रह की शुरुआत
चरण 2 (सितंबर 2025): हरिद्वार के मनसा देवी और चंडी देवी मंदिरों का सर्वे
चरण 3 (अक्टूबर 2025): पूर्णागिरि और पीरान कलियर का सर्वे
चरण 4 (नवंबर 2025): ANPR कैमरे और सेंसर्स की स्थापना
चरण 5 (दिसंबर 2025): ऑनलाइन पंजीकरण सिस्टम का लॉन्च
नीतिगत सुधार और कानूनी ढांचा
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा 2014 में जारी किए गए "Managing Crowd at Events and Venues of Mass Gathering" के दिशा-निर्देशों का सख्त अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
राज्यस्तरीय नियामक तंत्र
उत्तराखंड सरकार राज्यस्तरीय नियामक तंत्र विकसित कर रही है जो धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन के लिए विशिष्ट मानदंड निर्धारित करेगा।
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव धार्मिक पर्यटन पर प्रभाव
उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन का वार्षिक कारोबार हजारों करोड़ रुपए का है। बेहतर सुरक्षा व्यवस्था से पर्यटकों का विश्वास बढ़ेगा और राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
स्थानीय समुदाय पर प्रभाव
व्यवस्थित भीड़ प्रबंधन से स्थानीय व्यापारियों, होटल संचालकों और परिवहन सेवा प्रदाताओं को फायदा होगा। साथ ही स्थानीय निवासियों की दैनिक जीवन की समस्याओं में भी कमी आएगी।
भविष्य की दिशा और विकास की संभावनाएं
स्मार्ट टेम्पल कॉन्सेप्ट
उत्तराखंड सरकार 'स्मार्ट टेम्पल' की अवधारणा पर काम कर रही है, जहां IoT सेंसर्स, AI-आधारित भीड़ विश्लेषण, और मोबाइल ऐप्स का उपयोग करके श्रद्धालुओं को सर्वोत्तम अनुभव प्रदान किया जाएगा।
डिजिटल उत्तराखंड में योगदान
यह पहल राज्य सरकार के 'डिजिटल उत्तराखंड' के लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान देगी और राज्य को तकनीकी नवाचार में अग्रणी बनाएगी।
निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार की धारण क्षमता सर्वे पहल धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है। यह पहल न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी बल्कि राज्य के धार्मिक स्थलों को आधुनिक तकनीक से लैस करते हुए उन्हें विश्व स्तरीय बनाने में भी सहायक होगी। मनसा देवी मंदिर की दुखद घटना से सीख लेते हुए शुरू की गई यह पहल भविष्य में इस प्रकार की दुर्घटनाओं को रोकने में कारगर साबित होगी।
चरणबद्ध कार्यान्वयन, वैज्ञानिक पद्धति, और आधुनिक तकनीक के समुचित उपयोग से यह परियोजना न केवल उत्तराखंड के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकती है। राज्य सरकार का यह निर्णय दिखाता है कि आस्था और विज्ञान का सही संयोजन कैसे समाज कल्याण में योगदान दे सकता है।
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