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| डीटीसी ड्राइवरों और बस कंडक्टरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाएगी दिल्ली सरकार। |
दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की सार्वजनिक छवि सुधारने और यात्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए परिवहन मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह की पहल से शुरू हो रहा यह नैतिकता प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सुधार का प्रतिनिधित्व करता है। यह पहल न केवल तकनीकी सुधारों पर बल देती है बल्कि मानवीय मूल्यों और व्यावसायिक आचरण को भी प्राथमिकता देती है।
पहल की पृष्ठभूमि और आवश्यकता
दिल्ली परिवहन निगम दुनिया की सबसे बड़ी CNG बस सेवाओं में से एक है, जिसकी दैनिक सेवाओं से लगभग 25 लाख यात्री लाभान्वित होते हैं। परंतु पिछले कुछ वर्षों में DTC बसों के ड्राइवर और कंडक्टरों के व्यवहार को लेकर यात्रियों की शिकायतें बढ़ी हैं। इनमें मुख्य रूप से ओवरस्पीडिंग, गलत स्थानों पर बस रोकना, रेडलाइट जंपिंग, दरवाजे खोलकर बस चलाना और यात्रियों के साथ अशिष्ट व्यवहार जैसी समस्याएं शामिल हैं।
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समस्याओं का व्यापक विश्लेषण
DTC की वर्तमान स्थिति को देखें तो कुल 7,683 बसों का बेड़ा और लगभग 27,000 कर्मचारी हैं, जिनमें 4,500 संविदा ड्राइवर और 17,850 संविदा कंडक्टर शामिल हैं। यात्री शिकायतों के अनुसार, बसें अक्सर निर्धारित स्टॉप पर नहीं रुकतीं, ड्राइवर ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, और दरवाजे खुले रखकर बस चलाते हैं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, प्रतिदिन औसतन 79 DTC या क्लस्टर बसें खराब होती हैं, जो यातायात व्यवस्था में बड़ी समस्या बनती है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की संरचना और विशेषताएं
व्यापक कवरेज
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सभी DTC ड्राइवरों और कंडक्टरों के लिए अनिवार्य होगा, जिसमें स्थायी और संविदा दोनों प्रकार के कर्मचारी शामिल हैं। इसमें नैतिक मूल्य, ग्राहक सेवा और सुरक्षित ड्राइविंग तकनीकों पर विशेष जोर दिया जाएगा।
प्रशिक्षण के मुख्य घटक
नैतिक आचरण प्रशिक्षण: यात्रियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार, शिष्टाचार और पेशेवर आचरण पर केंद्रित प्रशिक्षण।
मानसिक जागरूकता कार्यक्रम: तनाव प्रबंधन, भावनात्मक नियंत्रण और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष सत्र।
सुरक्षित ड्राइविंग तकनीक: लेन अनुशासन, गति नियंत्रण, और ट्रैफिक नियमों का सख्त पालन।
ग्राहक सेवा प्रशिक्षण: यात्री सहायता, विशेष आवश्यकता वाले यात्रियों की सेवा, और संवाद कौशल।
व्यावहारिक कार्यान्वयन
प्रशिक्षण में सिद्धांत और व्यावहारिक दोनों पहलू शामिल हैं। मौखिक परीक्षण के साथ-साथ व्यावहारिक अभ्यास भी होगा। विशेष रूप से स्कूल, अस्पताल और व्यस्त बाजारों के पास सावधानीपूर्वक ड्राइविंग पर जोर दिया जाएगा।
तकनीकी निगरानी व्यवस्था
CCTV निगरानी प्रणाली
सभी DTC बसों में लगे हाई-टेक CCTV कैमरे का उपयोग करके ड्राइवर और कंडक्टरों के व्यवहार की निरंतर निगरानी की जाएगी। यह निगरानी वास्तविक समय में होगी और नियंत्रण कक्ष से इसे मॉनिटर किया जा सकेगा।
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GPS और ट्रैकिंग सिस्टम
बसों में स्पीड गवर्नर और GPS सिस्टम लगे हैं जो अधिकतम 40 किमी प्रति घंटे की गति सुनिश्चित करते हैं। यह सिस्टम ड्राइवरों के व्यवहार को ट्रैक करने में सहायक होगा।
शिकायत तंत्र और जवाबदेही
हेल्पलाइन सेवा
यात्री परिवहन विभाग की हेल्पलाइन 011-41400400 पर बस नंबर देकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इससे त्वरित कार्रवाई संभव होगी।
विभागीय कार्रवाई
नियम उल्लंघन करने वाले ड्राइवरों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इसमें रेडलाइट जंपिंग, जेब्रा क्रॉसिंग पर रुकना, और अनुशासनहीनता शामिल है।
अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं से तुलना
विश्व भर में सार्वजनिक परिवहन में नैतिकता प्रशिक्षण का महत्व बढ़ रहा है। बोगोटा के ट्रांसमिलेनियो जैसी सफल BRT प्रणालियां ड्राइवर प्रशिक्षण को प्राथमिकता देती हैं। यूरोपीय संघ की Switch Asia परियोजना भी सार्वजनिक परिवहन में नैतिकता और स्थिरता पर जोर देती है।
प्रशिक्षण पद्धति की तुलना
IRU (International Road Transport Union) के बस ड्राइवर प्रशिक्षण कार्यक्रम और UITP के सार्वजनिक परिवहन मूलभूत सिद्धांतों से DTC का प्रशिक्षण कार्यक्रम समानता रखता है। यह कार्यक्रम न केवल तकनीकी कौशल बल्कि व्यावसायिक आचरण पर भी केंद्रित है।
DTC की वर्तमान स्थिति और चुनौतियां
यात्री संख्या में गिरावट
DTC बसों की दैनिक यात्री संख्या पिछले दशक में 46.77 लाख से घटकर 25 लाख तक पहुंच गई है। कोविड-19 के दौरान यह संख्या 12.24 लाख तक गिर गई थी। यह गिरावट सेवा की गुणवत्ता और ड्राइवर व्यवहार से भी संबंधित है।
बुनियादी ढांचे की समस्याएं
DTC के बेड़े में पुरानी बसों की संख्या 44.96% तक पहुंच गई है, जिससे बार-बार ब्रेकडाउन होते हैं। दिल्ली की सड़कों पर प्रतिदिन औसतन 79 बसें खराब होती हैं, जो यातायात की समस्या बढ़ाती है।
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कर्मचारी असंतोष
DTC के संविदा कर्मचारियों में वेतन और नौकरी की सुरक्षा को लेकर असंतोष है। कई ड्राइवर किलोमीटर के आधार पर वेतन पाते हैं, जिससे वे तेज गाड़ी चलाने के लिए मजबूर होते हैं।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
समाज पर प्रभाव
DTC बसें विशेषकर दिल्ली के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में लास्ट माइल कनेक्टिविटी प्रदान करती हैं। बेहतर सेवा से न केवल यातायात व्यवस्था सुधरेगी बल्कि सामाजिक न्याय भी बढ़ेगा, क्योंकि सार्वजनिक परिवहन मुख्यतः निम्न और मध्यम वर्गीय परिवारों द्वारा उपयोग किया जाता है।
पर्यावरणीय लाभ
DTC दुनिया का सबसे बड़ा CNG बस बेड़ा संचालित करता है। बेहतर ड्राइविंग व्यवहार से ईंधन की खपत कम होगी और प्रदूषण में कमी आएगी।
भविष्य की संभावनाएं और सुझाव
निरंतर प्रशिक्षण व्यवस्था
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम एक बार का नहीं बल्कि निरंतर प्रक्रिया होनी चाहिए। नियमित रिफ्रेशर कोर्स और अपडेट प्रशिक्षण आवश्यक है।
प्रदर्शन मूल्यांकन
CCTV फुटेज और यात्री फीडबैक के आधार पर ड्राइवरों का नियमित प्रदर्शन मूल्यांकन होना चाहिए। अच्छा प्रदर्शन करने वालों को प्रोत्साहन और पुरस्कार देने की व्यवस्था हो।
कर्मचारी कल्याण
बेहतर वेतन संरचना और नौकरी की सुरक्षा से कर्मचारी संतुष्टि बढ़ेगी, जो अंततः सेवा की गुणवत्ता में सुधार लाएगी।
निष्कर्ष
डॉ. पंकज कुमार सिंह द्वारा शुरू की गई यह नैतिकता प्रशिक्षण पहल दिल्ली परिवहन निगम के लिए एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है। 25 लाख दैनिक यात्रियों की सेवा करने वाली इस व्यवस्था में सुधार न केवल राजधानी की यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाएगा बल्कि सार्वजनिक परिवहन के प्रति लोगों का विश्वास भी बहाल करेगा। हालांकि, इस पहल की सफलता इसके प्रभावी कार्यान्वयन, निरंतर निगरानी, और कर्मचारी कल्याण पर निर्भर करेगी। यदि सही तरीके से लागू किया जाए तो यह पहल न केवल DTC की छवि सुधारेगी बल्कि भारत के अन्य शहरों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है।
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