15 जून उत्तराखंड के नैनीताल स्थित कैंची धाम मंदिर का आयोजन किया जाता है बाबा के दर्शन के लिए यहां देश ही नहीं विदेश से भी ड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे। मेला शुरू होने से तीन चार दिन पहले से ही श्रद्धालुओं का आगमन शुरू होता है।
मेले में लोगो की आधिक सख्या का आसका होने से मद्देनजर प्रशासन अभी से ही ट्रैफिक का पूरा प्रूफ प्लान बनाने में जुटा है।
कैंची धाम मंदिर के स्थापना दिवस के अवसर पर हर साल यहां 15 जून को एक बड़ा मेला लगता है। इस मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और नीम करोली बाबा के दर्शन करते हैं। ऐसी मान्यता रही है कि इस मंदिर में मांगी हर मुराद पूरी होती है।
प्रसाशन ने मीटिंग बुला कर इस संबंध जरुरी कदम उठाये
जाम से निपटने के सम्भव उपाय
लोगो की भीड़ को देखते हुए यातायात के नियम को सकती से पालन करने को कहाँ है। ऐसे में यह तय किया गया है कि जाम से बचने के लिए रोडवेज और केमू की बसों को शटल सेवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
इससे यह लाभ मिलेगा कि सड़क पर छोटे वाहनों की संख्या सीमित रहेगी। ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर आरीओ दफ्तर में इस संबंध में एक मीटिंग भी हुई। इस मीटिंग में रोडवेज अधिकारी, कैंची धाम प्रबंधन समिति के लोग और टैक्सी यूनियन के लोग भी मौजूद थे।
नीम करौली बाबा, जिन्हें "नीम करोली बाबा" या "महराज जी" के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय हिन्दू संत और भक्त थे, जो विशेष रूप से हनुमान जी के परम भक्त माने जाते हैं। उनका असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था, और उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद ज़िले में लगभग 1900 के आसपास हुआ था।
वे एक गृहस्थ जीवन जी रहे थे, लेकिन बाद में वैराग्य लेकर संन्यास ले लिया। उन्होंने भारत के कई जगा में भ्रमण किया और साधना प्राप्त की वे हनुमान जी के उपासक थे या ये लोग उनको हनुमान जी अवतार के रूम में पूज है और उनका उपदेश बहुत सरल लेकिन प्रभावशाली होता था।
महाराज जी ने कई आश्रमों की स्थापना की, जिनमें सबसे प्रमुख उत्तराखंड के कैंची धाम में स्थित है। अन्य आश्रम वृंदावन, हिमाचल प्रदेश, और अमेरिका में भी स्थापित किए गए।
नीम करौली बाबा के अनेक विदेशी अनुयायी भी थे। सबसे प्रसिद्ध शिष्य राम दास (Ram Dass) (जिनका असली नाम Richard Alpert था) हैं, जो एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक शिक्षक बने।
स्टीव जॉब्स और मार्क ज़ुकरबर्ग जैसे प्रसिद्ध लोग भी नीम करौली बाबा से प्रेरित हुए और उनके आश्रम में आकर ध्यान साधना की।

