6 जून निर्जला एकादशी शिवमहापुराण कथा प्रदीप मिश्रा Pradeep mishra Sehore wale

Nirjala-Ekadashi-2025-Live

 

Pradeep mishra Sehore Wale:  निर्जला एकादशी शिवमहापुराण कथा  Live


Nirjala Ekadashi: निर्जला एकादशी व्रत व कथा

निर्जला एकादशी का महत्व:

निर्जला एकादशी को भीम एकादशी और पांडव एकादशी भी कहा जाता है। यह ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है (अर्थात मई-जून माह में)। इसका पालन करने से सभी 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है। यह वर्ष की सबसे कठिन, परंतु सबसे पुण्यदायी एकादशी मानी जाती है, क्योंकि इसमें जल तक का त्याग करना होता है।


व्रत विधि (कैसे करें व्रत):

दशमी तिथि (एक दिन पूर्व):


सात्विक भोजन करें, शाम को जल्दी खा लें।


संयम रखें और व्रत का संकल्प लें।


एकादशी तिथि (व्रत का दिन):


सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें।


धूप, दीप, फूल, तुलसीदल आदि से पूजन करें।


'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।


दिनभर निर्जल रहें (जल भी न पिएं) – यदि स्वास्थ्य साथ न दे तो जल/फल का सेवन कर सकते हैं, पर पूर्ण फल नहीं मिलेगा।


दिन में भगवान विष्णु की कथा, व्रत कथा, गीता या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।


द्वादशी तिथि (अगले दिन):


सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।


ब्राह्मण/गरीब को अन्न, वस्त्र, जलपात्र, छाता आदि का दान करें।


फिर जल पीकर और फलाहार करके व्रत पूर्ण करें।


निर्जला एकादशी व्रत कथा (संक्षेप में):

एक समय की बात है, महर्षि व्यास जी ने पांडवों को एकादशी व्रत का महत्व बताया। भीमसेन बोले, "मुझे बहुत भूख लगती है, मैं 24 एकादशियों के व्रत नहीं रख सकता। कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे सभी व्रतों का फल एक बार में मिल जाए।"


तब व्यास जी ने कहा, "हे भीम! यदि तुम साल भर व्रत नहीं रख सकते, तो सिर्फ ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जल रहकर उपवास करो। इस दिन जल भी मत पीना। इसका फल 24 एकादशियों के बराबर है। यह कठिन जरूर है, पर पुण्य अपार है।"


भीमसेन ने यह व्रत किया और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।


विशेष मान्यताएँ:

इस दिन व्रत करने से पापों का नाश होता है और वैकुंठ की प्राप्ति होती है।


दान और पूजन का विशेष महत्व है – विशेषकर जल- कलश, पंखा, छाता, फल, वस्त्र, शरबत आदि का दान।


भोग व नैवेद्य:

भगवान विष्णु को तुलसी पत्र, पंचामृत, फलों का भोग अर्पित करें।


व्रत के बाद सात्विक फलाहार या पारण में खिचड़ी आदि बनाया जाता है।


डिस्क्लेमर: यह जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। YatraJaankaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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