छठ पूजा गीत: इतिहास, धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक पहचान

 

chhath puja
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Chhath Puja 2025: छठ पूजा के ओरिजिनल पारंपरिक गीत भारत के बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में छठ पर्व के दौरान गाए जाते हैं। ये छठी मैया और सूर्य देव की महिमा का गुणगान करते हैं और पारंपरिक रीति-रिवाजों एवं आस्था को दर्शाते हैं। छठ पूजा के गीतों में लोक संस्कृति का प्रतिबिंब होता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं और इनका उद्देश्य भगवान सूर्य और छठी मैया के आशीर्वाद की प्रार्थना करना होता है।



ये गीत उत्सव के दौरान मानवीय भक्ति, प्रकृति के प्रति श्रद्धा और सामाजिक एकता को जगाते हैं। ख़ास तौर पर, ये गीत पूजा के मुख्य दिन, घाट पर खड़े होकर गाए जाते हैं और पूजा की पवित्रता बनाए रखने में सहायक होते हैं। छठी मैया के लिए गाए जाने वाले ये पारंपरिक छठ गीत अपनी लयात्मकता और भावपूर्ण बोलों के लिए प्रसिद्ध हैं।



छठ पूजा गीतों की वजह से यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर भी अनूठा और सम्पूर्ण होता है। कई प्रमुख कलाकार जैसे शारदा सिन्हा, पवन सिंह, और कैलाश खेर आदि ने छठ पूजा के लिए विशेष गीत रिकॉर्ड किए हैं जो आज भी लोकप्रिय हैं।



इस तरह के पारंपरिक छठ गीतों का संग्रह यूट्यूब जैसे मंचों पर उपलब्ध है, और जैसे "छठ पूजा के Origenal पारम्परिक गीत -| Chhath PUja Song 2025" (जो Maa Janki Series द्वारा प्रस्तुत है) इस त्योहार के उत्साह और भक्ति को संगीत के माध्यम से जीवंत करते हैं। इन गीतों की मधुरता और भावनात्मक गहराई छठ पूजा के आध्यात्मिक अनुभव को और भी संपूर्ण बनाती है।



संक्षेप में, छठ पूजा के पारंपरिक गीत इस महान त्योहार को भक्ति, श्रद्धा और सांस्कृतिक धरोहर के साथ जीवित रखते हैं और लाखों लोगों के हृदयों में सूर्य और छठी मैया के प्रति अगाध श्रद्धा और विश्वास जगाते हैं। ये गीत छठ पूजा का अविभाज्य अंग हैं जो इसे सम्पूर्ण बनाते हैं।



छठ पूजा गीत: इतिहास और महत्व


छठ पूजा न सिर्फ सूर्य उपासना का त्यौहार है, बल्कि लोक संगीत, भक्ति और सांस्कृतिक रचनात्मकता का बड़ा उत्सव भी है। छठ पूजा के दौरान गाए जाने वाले पारंपरिक गीतों का इतिहास और महत्व छठ पर्व के धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से गहराई से जुड़ा है।​



छठ पूजा गीतों का इतिहास

छठ पूजा गीतों की परंपरा सदियों पुरानी मानी जाती है। ये गीत पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में विशेष रूप से प्रचलित हैं। पूर्वजों ने ये लोकगीत घर-घर में गाए, जो आज भी परिवारों के जरिये अगली पीढ़ी तक पहुंच रहे हैं। इन गीतों की रचना मुख्यतः महिलाओं द्वारा होती थी, जो छठ व्रत के दौरान अलग-अलग तिथियों और अनुष्ठानों पर समर्पित भाव से इन्हें गाती थीं। गीतों का विषय छठी मैया की महिमा, सूर्य देव की आराधना और उत्सव की उल्लासपूर्ण छवि को दर्शाता है।​



छठ गीतों का महत्व

छठ गीत, पूजा की आत्मा माने जाते हैं। ये न केवल धार्मिक भावना को प्रबल करते हैं, बल्कि परिवार और समाज में सामूहिकता का संचार भी करते हैं। इन गीतों के बोल व्रती महिलाओं की मनोकामनाओं, जीवन के संघर्षों और अनुभूतियों को व्यक्त करते हैं। छठ के घाटों पर जब सामूहिक रूप से ये पारंपरिक गीत गूंजते हैं तो उनमें अद्भुत ऊर्जा, श्रद्धा और एकता का अहसास होता है।​


गीतों से छठ पूजा का वातावरण भक्तिमय बनता है


छठ की रात घाटों पर गाए जाने वाले गीत व्रती महिलाओं का मनोबल बढ़ाते हैं


सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक एकता को बढ़ावा देते हैं​


बदलते दौर में छठ गीत

समय के साथ-साथ छठ के गीतों ने भी आधुनिकता का स्पर्श पाया है। परंपरागत लोकगीतों के अलावा, आजकल बॉलीवुड और भोजपुरी सिनेमा के प्रसिद्ध गायकों द्वारा भी छठ गीत प्रस्तुत किए जाने लगे हैं। लेकिन, लोकधुनों और पारंपरिक छंदों का महत्व आज भी बना हुआ है।​




छठ पूजा गीतों का इतिहास हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों और सामाजिक संबंधों की याद दिलाता है। इन गीतों के माध्यम से छठ पूजा पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान, बल्कि हमारी लोक-परंपरा और वैराग्य का भी जीवंत उदाहरण बन जाता है।



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