चंद्र ग्रहण 2025: आज 122 सालों बाद दुर्लभ संयोग, पितृ पक्ष की शुरुआत होगी 'ब्लड मून' से

chandra grahanam 2025
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Chandra grahanam
 2025: 7 सितंबर 2025 को लगेगा साल का अंतिम चंद्र ग्रहण। 122 साल बाद पितृ पक्ष के साथ दुर्लभ संयोग। जानें सूतक काल, मंत्र जाप और धार्मिक नियम।


नई दिल्ली: आज 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा की रात आसमान में एक दुर्लभ खगोलीय घटना देखने को मिलेगी। साल 2025 का अंतिम चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है, जो इसलिए भी खास है क्योंकि इसी दिन से पितृ पक्ष की भी शुरुआत हो रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ऐसा दुर्लभ संयोग 122 साल बाद बन रहा है जब पितृ पक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से और समापन सूर्य ग्रहण से हो रहा है।


चंद्र ग्रहण का समय 

आज रात 9 बजकर 58 मिनट से शुरू होने वाला यह पूर्ण चंद्र ग्रहण रात 1 बजकर 26 मिनट तक चलेगा। ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट रहेगी। इस दौरान रात 11 बजकर 42 मिनट पर चंद्रमा अपने चरम पर होगा और 'ब्लड मून' का खूबसूरत नजारा दिखेगा। यह ग्रहण भारत के हर बड़े शहर में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा, जिसमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे महानगर शामिल हैं।


सूतक काल और धार्मिक मान्यताएं

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इसलिए आज दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से सूतक काल प्रभावी रहेगा। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए सूतक काल शाम 6 बजकर 36 मिनट से माना गया है। इस अवधि में सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे और ग्रहण समाप्ति के बाद ही पुनः खोले जाएंगे।


ग्रहण के दौरान क्या करें, क्या न करें

वर्जित कार्य: सूतक काल और ग्रहण के दौरान भोजन करना, सोना, तेल मालिश, स्नान, बाल संवारना, दांत साफ करना और देव मूर्तियों को छूना मना है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और नुकीली वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए।


करने योग्य कार्य: ग्रहण काल में मंत्र जाप का विशेष महत्व है। भगवान शिव का "ॐ नमः शिवाय" मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र और चंद्र देव का "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः" मंत्र का 108 बार जाप करना अत्यंत फलदायी माना गया है। इसके अलावा धार्मिक ग्रंथों का पाठ, ध्यान और दान का विशेष महत्व है।


राशियों पर प्रभाव और दान

यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि में लग रहा है और इसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, मिथुन, कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए यह विशेष रूप से शुभ रहेगा। ग्रहण के बाद सफेद वस्तुओं जैसे चावल, दूध, चीनी, सफेद कपड़े और चांदी का दान करना शुभ फलदायी माना जाता है।


यह दुर्लभ खगोलीय घटना न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार भी अत्यंत पावन मानी गई है।


डिस्क्लेमर: यह जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। YatraJaankaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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