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| Ganesh chaturthi 2025 |
Ganesh Chaturthi 2025: भारत में गणेश उपासना की परंपरा अत्यंत प्राचीन और गहरी है। विघ्नहर्ता भगवान गणेश के अनगिनत मंदिर देश भर में फैले हुए हैं, जिनमें से कुछ विशेष मंदिर अपनी चमत्कारिक शक्तियों और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने की क्षमता के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। इन पवित्र स्थलों पर लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष दर्शन करने आते हैं और अपनी समस्याओं का समाधान पाते हैं। आइए जानते हैं देश के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली गणेश मंदिरों के बारे में विस्तार से।
महाराष्ट्र: गणेश उपासना का केंद्र
सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई
मुंबई के प्रभादेवी में स्थित श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 को लक्ष्मण विठु पाटिल और देउबाई पाटिल द्वारा करवाया गया था। मंदिर में स्थित काले पत्थर की 2.5 फुट ऊंची मूर्ति अपनी दाईं ओर मुड़ी हुई सूंड के साथ विशेष मानी जाती है। यह मंदिर "नवसाचा गणपति" के नाम से भी प्रसिद्ध है, जिसका अर्थ है "सच्ची इच्छा पूर्ण करने वाले गणपति"।
मंदिर की आंतरिक छत सोने से मढ़ी हुई है और लकड़ी के दरवाजों पर अष्टविनायक की छवियां उकेरी गई हैं। प्रतिदिन हजारों भक्त यहां दर्शन करने आते हैं, विशेषकर मंगलवार और संकष्टी चतुर्थी के दिन। सेलिब्रिटीज से लेकर आम जनता तक, सभी यहां मन्नतें मांगने आते हैं।
अष्टविनायक मंदिर परिक्रमा
महाराष्ट्र में पुणे के आसपास स्थित आठ गणेश मंदिरों का समूह अष्टविनायक के नाम से प्रसिद्ध है। ये सभी मंदिर स्वयंभू (प्राकृतिक रूप से बनी) गणेश प्रतिमाओं के लिए जाने जाते हैं। इन आठ मंदिरों की यात्रा को अष्टविनायक यात्रा कहा जाता है, जो मोरेगांव से शुरू होकर वहीं समाप्त होती है।
अष्टविनायक मंदिरों की सूची:
मयूरेश्वर मंदिर, मोरगांव - पुणे जिले में स्थित यह मंदिर अष्टविनायक यात्रा का प्रारंभिक और अंतिम पड़ाव है
सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक - अहमदनगर जिले में स्थित यह एकमात्र मंदिर है जहां भक्त मूर्ति को छू सकते हैं
बल्लालेश्वर मंदिर, पाली - रायगढ़ जिले में स्थित
वरदविनायक मंदिर, महाड - रायगढ़ जिले में स्थित
चिंतामणि मंदिर, थेऊर - पुणे जिले में स्थित
गिरिजात्मज मंदिर, लेन्याद्रि - पुणे जिले में स्थित
विघ्नेश्वर मंदिर, ओझर - पुणे जिले में स्थित
महागणपति मंदिर, रांजणगांव - पुणे जिले में स्थित
दगडूशेठ हलवाई गणपति, पुणे
पुणे का प्रसिद्ध दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर महाराष्ट्र के दूसरे सबसे प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण दगडूशेठ गडवे नामक हलवाई ने अपने पुत्र की प्लेग से मृत्यु के बाद करवाया था। यहां 7.5 फुट लंबी और 4 फुट चौड़ी मूर्ति सोने के आभूषणों से सजी रहती है।
मध्य प्रदेश के गणेश मंदिर
चिंतामण गणेश मंदिर, उज्जैन
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से लगभग 7 किमी दूर जवास्या गांव में स्थित चिंतामण गणेश मंदिर मध्य प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध गणेश मंदिर है। यह मंदिर 11वीं-12वीं शताब्दी का माना जाता है और परमार काल में निर्मित हुआ था। मंदिर में तीन स्वयंभू मूर्तियां हैं - चिंतामण, इच्छामन और सिद्धिविनायक।
इस मंदिर की विशेषता यह है कि चिंतामण गणेश चिंता से मुक्ति प्रदान करते हैं, इच्छामन भक्तों की कामनाएं पूर्ण करते हैं और सिद्धिविनायक सिद्धि प्रदान करते हैं। पुराणों के अनुसार यह मंदिर माता सीता द्वारा स्थापित षट् विनायकों में से एक है।
खजराना गणेश मंदिर, इंदौर
इंदौर का खजराना गणेश मंदिर भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां की 3 फुट ऊंची गणेश प्रतिमा चांदी का मुकुट धारण किए रिद्धि-सिद्धि सहित विराजमान है। इस मूर्ति को मंदिर के सामने बावड़ी से निकाला गया था, जिसका संकेत पुजारी के पूर्वजों को स्वप्न में मिला था। मंदिर का पहला जीर्णोद्धार 1735 में अहिल्याबाई होलकर ने कराया था।
दक्षिण भारत के प्रसिद्ध गणेश मंदिर
उच्ची पिल्लैयार मंदिर, तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु)
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में रॉक फोर्ट की चोटी पर 273 फुट की ऊंचाई पर स्थित उच्ची पिल्लैयार मंदिर 7वीं शताब्दी का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 400 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, विभीषण जब विष्णु की मूर्ति को लंका ले जा रहे थे, तो गणेश जी ने बालक का रूप धारण करके मूर्ति को भूमि पर रख दिया था। जब विभीषण ने क्रोधित होकर बालक के सिर पर प्रहार किया तो गणेश जी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए। यह चट्टान लगभग 30 लाख वर्ष पुरानी मानी जाती है।
कनिपकम विनायक मंदिर, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुपति से 68 किमी दूर स्थित कनिपकम विनायक मंदिर 11वीं शताब्दी में चोल सम्राट कुलोत्तुंग प्रथम द्वारा निर्मित कराया गया था। बाद में 1336 में विजयनगर साम्राज्य के सम्राटों द्वारा इसका विस्तार किया गया।
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि गणेश जी की मूर्ति का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। 50 साल पुराना चांदी का कवच अब फिट नहीं होता। पौराणिक कथा के अनुसार तीन भाई - एक अंधा, एक बहरा और एक गूंगा - कुआं खोद रहे थे जब उन्हें गणेश की मूर्ति मिली और सभी के शारीरिक दोष दूर हो गए।
मनकुला विनायगर मंदिर, पुडुचेरी
यह भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है जो 1600 वर्ष से भी अधिक पुराना है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां की गणेश प्रतिमा को कई बार समुद्र में फेंका गया लेकिन यह रोजाना वापस अपने स्थान पर प्रकट हो जाती थी। फ्रांसीसी शासन

